अब सतगुरु कर ले ज्ञानी भजन लिरिक्स

श्लोक – सांगलपति मेरे घट के प्राण,रोम रोम ठस कर भरा,अब कबहूँ छोड़ू ना आण।दर्शन कर प्रसन्न भये,साहेब सत् बहुरंग।खींवा कबहूँ न छोड़िये,सतगुरु जी को संग।। विद्या चाहते हो सज्जन,त्यागो अवगुण सात।आलस चंचल मन गर्व,मस्ती मान बहु बात।।मस्ती मान बहु बात,लोभ सुख इच्छा त्यागो।सद्गुरू पूरा जोय,करो ज्ञानी को सागो।।होट परीक्षा पास,काज सब का सब सद्या।बण […]