दोहा - सत् संगत संसार में,
भव तिरने की नाव।
खेवटिया गुरू देव है,
जिसके शरणे आव।।
जिसके शरणे आव,
पकड़ भव पार उतारे।
करे न पल भर देर,
जीव को तुरन्त उबारे।।
अजर अमर पद परस दे,
कौवा हंस होवत्।
‘रामवक्ष’ इस लोक में,
सत् की संगत है सत्।।
भजन - हंसला पींजर भयो पुराणो।
घणो पसारो मत कर युग में,
होसी अंत में जाणो।।टेर।।
गर्भवास में उद्यम न करतो,
वहाँ भी मिलतो खाणो।
शिशु अवस्था बालपण की,
माता पय पिलानो।।1।।
हंसला पींजर भयो पुराणो...
तरुण हुआ नारी संग यारी,
होरियो मद मस्तानो।
वृद्धापन में विपदा भारी,
बनिता मारे तानो।।2।।
हंसला पींजर भयो पुराणो...
माया जोड़ी लाख करोड़ी,
ममता मोह भुलानो।
बिना भजे भगवान अंत में,
जासी ऊत घराणो।।3।।
हंसला पींजर भयो पुराणो...
कष्ट पड़े पल पल में सुमरे,
सुख में साहेब जानो।
‘रामवक्ष’ भगवान भजन कर,
फेर जन्म नहिं आणो।।4।।
हंसला पींजर भयो पुराणो...
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