क्या जाने इसे ढपोल रे, पद पिंगल का भजन लिरिक्स

कांई जाने ढपोल पद पिंगल का बांका भंवरलाल भजनी धनकोली के भजन
श्लोक – राग व द्वेष असीमता,अविद्या अवनि वेश।सच्चिदानंद ब्रह्म है,जीव में पंच क्लेश।। जीव में पंच क्लेश,भरे है घट घट ...
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गाते हो किस का गीत, है पूर्ण भजन लिरिक्स

पूर्ण ब्रह्म के अद्वितीय और निर्गुण गाते हो किस का गीत भजन
श्लोक – काया में करतार है,सदगुरु बिना अंधेर।सात द्वीप नौ खंड में,देख लिया चौफेर।। देख लिया चौफेर,ईश्वर दर्शे नहीं तन ...
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समझेगा कोई संत सुजाण भजन लिरिक्स

समझला सन्त सुजाण - सांगलिया धूणी का निर्गुण भजन
समझेगा कोई संत सुजाण,कहूँ निर्गुण पद की चरचा।।टेर।। तीन गुणों से निर्गुण न्यारा,आदि अंत मध्य के पारा।नभ से चले शब्द ...
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सुनो तुम कान लगा के, भारत की भजन लिरिक्स

सुनो तुम कान लगा के - रामवक्ष जी महाराज के भजन के प्रेरणादायक लिरिक्स
श्लोक – जननी जन के क्या किया, भार सहा नव मास।।भार सहा नव मास, सुघड़ नर सोना जैसा। घिस पिट ...
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हरिजन लागे प्यारे रे, मैं सतगुरु भजन लिरिक्स

हरिजन लागे प्यारा रे - रामवक्ष जी महाराज के भजन के प्रेरणादायक लिरिक्स
श्लोक – गीता पढ़ ले भागवत पढ़ ले,पढ़ ले चारों वेद।सतगुरु का उपदेश बिना,मिटे न मन की खेद।। मिटे न ...
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अब मैं ज्ञानी सतगुरु पाया भजन लिरिक्स

अब मैं ज्ञानी सतगुरु पाया - रामवक्ष जी महाराज के भजन के प्रेरणादायक लिरिक्स
दोहा – दान यज्ञ अध्ययन तप,इन्द्रिय दमन सत् धर्म।सरलपना मन रखे,लगे न जग का कर्म।। लगे न जग का कर्म,स्वर्ग ...
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साधो भाई सोहं धुन सुनाई तन भजन लिरिक्स

साधो भाई सोहं धुनि सुनाई - राम भगत जी महाराज के भजन के आध्यात्मिक लिरिक्स
दोहा – दुनियाँ में गुनियाँ बहुत, कुछ देखा कुछ कान। कइयों में गुनियाँ बहुत, कई पढ़िया प्रमाण।। कई पढ़िया प्रमाण, ...
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अब हम निज घर डेरा दीना दीर्घ भजन लिरिक्स

अब हम निज घर डेरा दीना - रामभक्त जी महाराज के भजन के आध्यात्मिक लिरिक्स
भजन – अब हम निज घर डेरा दीना।दीर्घ से दीर्घ लघु से अति लघु,है झीने से झीना।।टेर।। वाणी वेद अर्थ ...
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इस काया नगर के कोट में एक अजब भजन लिरिक्स

इस काया नगर के कोट में - रामवक्ष जी महाराज के भजन के आध्यात्मिक लिरिक्स
दोहा – दान यज्ञ अध्ययन तप, इन्द्रिय दमन सत् धर्म। सरलपना मन रखे, लगे न जगका कर्म।। लगे न जगका ...
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साधो भाई सतगुरु भेद बताया कर भजन लिरिक्स

कर सोझी खोजी से मिलिया - रामवक्ष जी महाराज के भजन के आध्यात्मिक लिरिक्स
दोहा – पद पद में सम्पत्ति मिले,होत विपति का नाश।जिन सज्जनों के चित्त में,परोपकार प्रकाश।।परोपकार प्रकाश,तिरे कुल अपना त्यारे।एक बिंदी ...
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