भजन - संतों मैं अगम देश का वासी।
जन्म मरण मेरा नहीं होता,
कौन जाय चौरासी।।टेर।।
देखा खेल जगत का सारा,
मन में भई उदासी।
नुगरा जीव लखे नहीं महरम,
कर परपंच थक जासी।।1।।
संतों मैं अगम देश का वासी...
गुरु देव का चरण पकड़ ले,
सांचो भेद बतासी।
तेरे जीव में शीव मिलादे,
लागे देर जरा सी।।2।।
संतों मैं अगम देश का वासी...
बिना गुरु ज्ञान ध्यान नहीं लागे,
आड़ी यम की फांसी।
बिगर दुल्हा कँवारी,
कहो कौन घर जासी।।3।।
संतों मैं अगम देश का वासी...
सत् गुरु शब्द लखाया तीक्षण,
तब दर्शया अवनासी।
‘रामवक्ष’ गुरु गम की लखता,
अनुभव उर प्रकाशी।।4।।
संतों मैं अगम देश का वासी...
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