कलह कल्पना दुतिया भागे तुरन्त भजन लिरिक्स

दोहा - आज कहे मैं कल करुं,
कल कहे मैं कल।
आज काल के बीच में,
तेरी समय जायेगी चल।।

कहे दास सगराम,
दरगड़े घालो घोड़ा।
राम राम कर रात-दिन,
बाकी दिन रहिया है थोड़ा।।

थोड़ा दिन बाकी रहिया,
कद पूगो ला ठेठ।
अध बीच ले पासे रहिया,
किनके पड़ स्यो पेट।।

किनके पड़ स्यो पेट,
पड़े ले भारी फोड़ा।
कहे दास सगराम,
दरगड़े घालो घोड़ा।।

माल सिमरणी हाथ,
कतरनी खाक में।
आग बुझी मत जाण,
दबी है राख में।।

हरि भगतां से बेर,
प्रीत संसार से।
वाजिंद वो नर नरकां,
जाय कुटुम्ब से।।

भजन - झेलो शब्द हमारा अब तुम।
कलह कल्पना दुतिया भागे,
तुरन्त करुं भव पारा।।टेर।।

झेलो शब्द हमारा अब तुम...

कौन शब्द की नाव बनाओ,
कौन चलावन हारा।
कौन शब्द की डोरी पकड़ी,
कौन जाय भव पारा।।1।।

झेलो शब्द हमारा अब तुम...

सत शब्द की नाव बनाई,
अखै चलावन हारा।
श्रुति शब्द की डोरी पकड़ी,
जीव जाय भव पारा।।2।।

झेलो शब्द हमारा अब तुम...

काया कर्म नहीं जहां करता,
नाद बिन्द नहीं पारा।
देह बिना देव विदेही कहिये,
कैसे शब्द उच्चारा।।3।।

झेलो शब्द हमारा अब तुम...

पांच पचीस तीन घर ल्याया,
खुले नाद झंकारा।
शून्य में जीव शिव के मेला,
रहा न बिल्कुल न्यारा।।4।।

झेलो शब्द हमारा अब तुम...

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