समझेगा कोई संत सुजाण भजन लिरिक्स

समझला सन्त सुजाण - सांगलिया धूणी का निर्गुण भजन

समझेगा कोई संत सुजाण,कहूँ निर्गुण पद की चरचा।।टेर।। तीन गुणों से निर्गुण न्यारा,आदि अंत मध्य के पारा।नभ से चले शब्द चौधारा,कहे वेद प्रमाण।पाया सत् गुरु से परचा।।1।। समझेगा कोई संत सुजाण,कहूँ निर्गुण पद की चरचा… भागा भेद भ्रमना टूटी,विरह दिवानी गुरुगम ऊठी।हरिजन चढ़ गये सैन अपूठी,आ गये जबर आपाण।सब कटा काल का खरचा।।2।। समझेगा कोई […]

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