आत्म ज्ञान भये जिस घट में, वो निज भजन लिरिक्स

श्लोक – साधु आवत देखियो रे,सती निवायो शीश।साधु मुख से बोलिया रे,तेरा अमर चूड़ा बक्शीश।। पति हमारा चल गया,मैं चलने को तैयार।साधु तेरे वचन का,अब क्या होसी हवाल।। तुलसी मुआ मंगाविया,मस्तक धरियो हाथ।मैं कुछ जाणूं नहीं,तुम जानो रघुनाथ।। भजन – आत्म ज्ञान भये जिस घट में,वो निज पद में डट चूका।आशा तृष्णा मान बड़ाई,सब झगड़ों […]