हंसा छोड़ चल्यो अधराती अंत समय भजन लिरिक्स

हंसा छोड़ चल्यो अधराती - रामवक्ष जी महाराज के भजन के गहरे अध्यात्मिक लिरिक्स

दोहा – नर से घणा गुणवान,धरण पर देखो तरवर।करे पराया मान,अचल रहे जैसे गिरवर।। फल देवे छाया करे,लकड़ी आवे काम।मानुष तेरी देह की,मिले न एक छिदाम।। मिले कण एक छिदाम,निकाले जल्दी घर से।‘रामवक्ष’ कथ कहे,काज क्या मूरख नर से।। भजन – हंसा छोड़ चल्यो अधराती।अन्त समय की दौरी पुल में,कोई न चले संगाती।।टेर।। उठे हिलोर […]

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