मानुष है सो मानुष है, हाँ इस में भजन लिरिक्स

श्लोक – तप कर सब ब्राह्मण भये,कहैं अगस्त्य मुनि कुम्भार।वर्ण शंकर माडव्य ऋषि,कहै निगम लककार।। कहै निगम ललकार,नारद शूद्रि तन जाया।आ गणिका के गर्भ,विशष्ठ जो गुरु कहाया।। कुल हीन भये प्रबीण,राम को उलटा जप कर।वाल्मीकी था भील,व्यास ब्राह्मण भये तपकार।। भजन – मानुष है सो मानुष है,हाँ इस में किसकी जाती है।जिसके चित्त में ऊँच […]