काया म्हारी प्रीत करी पछताया भजन लिरिक्स

काया म्हारी प्रीत करी पछताया: जीवन के मोह और पाप का पश्चाताप।
भजन – काया म्हारी प्रीत करी पछताया,थोड़े दिन के जीने खातिर,केई पाप कमाया॥टेर॥ अन्न धन माल चौगुणा,लश्कर नारि पुत्र घर ...
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