भारत में फैली, दारु की बदबोय भजन लिरिक्स

दोहा – दारु पीना है बुरा, महापाप का मूल। दुःख छूटे अक्ल घटे, रहे ढीला स्थूल।। जाल सब उल्टा गूंथे, मार्ग में पड़ जाय। मुख में कुकरां मूते, यादव कुल का नाश। बड़ा था मारु, ‘रामवक्ष’ गुणी कहे, त्यागो बिल्कुल दारु।। भजन – भारत में फैली, दारु की बदबोय।।टेर।। नशाबाज नादान अनाड़ी, खावे पैजारों की […]