क्या जाने इसे ढपोल रे, पद पिंगल का भजन लिरिक्स

श्लोक – राग व द्वेष असीमता,अविद्या अवनि वेश।सच्चिदानंद ब्रह्म है,जीव में पंच क्लेश।। जीव में पंच क्लेश,भरे है घट घट नाना।पार ब्रह्म है एक,जीव का कहां ठिकाना।। जगत बीच भटकत फिरे,ज्यों करकों में काग।जीव ईश के भेद में,‘रामवक्ष’ अनुराग।। भजन – क्या जाने इसे ढपोल रे,पद पिंगल का बांका है।। टेर।। घर घर गुरु और […]