Om das ji maharaj

1. सांगलिया धूणी की स्थापना और इतिहास

अखिल भारतीय सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) उत्तर भारत का एक प्रमुख ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो अपनी आध्यात्मिक गतिविधियों, साधना और भक्ति के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यह आश्रम लगभग 350 वर्ष पुराना है। यहाँ का वातावरण शांतिपूर्ण एवं आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर है, जो श्रद्धालुओं को मानसिक और आत्मिक शांति प्रदान करता है।

यह आश्रम सांगलिया ग्राम में स्थित है। यह एक प्रमुख धार्मिक हिंदू स्थल है। यहाँ की हरियाली तथा प्राकृतिक सौंदर्य इसे आकर्षक बनाते हैं। यह स्थल तपस्वियों एवं भक्तों के लिए आदर्श स्थान है, जहाँ साधना तथा पूजा का वातावरण मौजूद है। यहाँ शांति तथा ध्यान की गहरी अनुभूति होती है, जो भक्तों को उनकी साधना में मदद करती है।

बाबा लक्कड़ दास जी महाराज ने लगभग 350 वर्ष पूर्व इस स्थान को साधना तथा तपस्या का केंद्र बनाया था। उन्होंने यहाँ धूणी माता की स्थापना की, जो आज भी श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहाँ की धूणी माता की पूजा और यहाँ का वातावरण भक्तों को आकर्षित करता है। श्रद्धालु यहाँ अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति एवं आध्यत्मिक उन्नति करने के लिए आते हैं।

सांगलिया धूणी के भजन लिरिक्स

आश्रम का वातावरण पवित्र एवं दिव्य है। संतों की तपस्या से यहाँ एक अद्वितीय ऊर्जा का संचार होता है। यहाँ सत्संग, साधना एवं भक्ति पर विशेष जोर दिया जाता है, जिसके कारण यह स्थल एक विशिष्ट आध्यात्मिक केंद्र बन गया है। इस आश्रम में प्रत्येक महीने की पूर्णिमा तथा अमावस्या के दिन मेला लगता है। यहाँ आने वाले सभी श्रद्धालु शांति तथा संतोष का अनुभव करते हैं और जीवन की सच्ची राह पर चलने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

आश्रम के वर्तमान पीठाधीश्वर श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) हैं, जिनकी उपस्थिति ने इस स्थान को आध्यात्मिक रूप से और ज्यादा समृद्ध किया है। उनके उपदेश भक्तों को ईमानदारी तथा निरंतर परिश्रम करने की प्रेरणा देते हैं। उनका मार्गदर्शन आश्रम के प्रत्येक कोने में महसूस किया जा सकता है। उनके आशीर्वाद से भक्त अपने जीवन में शांति एवं संतुलन प्राप्त करते हैं।

2. श्री ओम दास जी महाराज का जीवन परिचय

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2.1 जन्म स्थान और बचपन

श्री ओमदास जी महाराज ‘विद्या विनयेन शोभते’ के आदर्श पर चलते हुए शिक्षा को सर्वोपरि मानते हैं। वे समाज में समानता और भाईचारे का संदेश देते हैं। उनका मानना है कि शिक्षा ही समाज में बदलाव लाने का सबसे बड़ा माध्यम है। उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा और सेवा को अपना धर्म माना है। वे सामाजिक समरसता एवं जन-जागृति के लिए कार्य कर रहे हैं।

श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) सांगलिया धूणी के वर्तमान पीठाधीश्वर हैं। वे उच्च शिक्षा एवं सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। उनका जन्म डीडवाना-कुचामन जिले के छोटे से ग्राम बरड़वा में 11 नवंबर 1991 को हुआ। उनके पिता नारायण राम मेहरड़ा राजकीय सेवा में सेवा देते थे। माता यशोदा देवी एक धार्मिक और स्नेही महिला थीं। माता-पिता की परवरिश ने उन्हें जीवन में धर्म, सेवा और शिक्षा का महत्व सिखाया। बचपन से ही श्री ओमदास जी महाराज अपने आसपास की हर चीज को गहराई से समझने तथा सीखने की कोशिश करते रहे हैं।

श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) अपने छः भाई-बहनों में दूसरे नंबर के हैं। उनका अधिकांश बाल्यकाल माता-पिता के साथ गांव से बाहर ही बीता है। पिताजी की राजकीय सेवा के कारण उन्हें अलग-अलग जगहों पर रहने एवं नई-नई चीजें सीखने का अवसर मिला। वे हमेशा कहते हैं, ‘परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, उनसे सीखना ही आगे बढ़ने का रास्ता है।’

सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के पीठाधीश्वर पद पर विराजते ही, श्री ओमदास जी महाराज ने इस ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल को न केवल आध्यात्मिक केंद्र के रूप में स्थापित किया, बल्कि इसे शिक्षा और सामाजिक सेवा का प्रेरणास्थल बना दिया है। वे सत्संग, प्रवचन और समाज सेवा के माध्यम से लोगों को जीवन में सच्चाई, ईमानदारी और सेवा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। उनके नेतृत्व में सांगलिया धूणी एक पवित्र और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर स्थान बन गया है।

2.2 प्रारंभिक शिक्षा : एक मेधावी छात्र

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श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) की प्रारंभिक शिक्षा मौलासर कस्बे में हुई। इसके बाद उन्होंने सांगलिया, जोधपुर, बरड़वा, सुदरासन और बेरी गांव में उच्च माध्यमिक तक की पढ़ाई पूरी की। इन जगहों पर शिक्षा प्राप्त करते हुए उन्होंने अलग-अलग संस्कृतियों एवं परंपराओं को करीब से देखा। यह अनुभव उनके व्यक्तित्व को निखारने में सहायक बने।

महापुरुषों के जीवन एवं आदर्शों से प्रेरणा लेते हुए उन्होंने हमेशा शिक्षा को सबसे बड़ा धन माना। ‘विद्या विनयेन शोभते’ का पालन करते हुए उन्होंने 2015-16 में बाबा खींवादास महाविद्यालय से स्नातक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इस सफलता ने न केवल उनके परिवार का, बल्कि पूरे महाविद्यालय का नाम रोशन कर दिया।

श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) का मानना है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल परीक्षा पास करना ही नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण और समाज के प्रति सच्ची जिम्मेदारी को समझना है। सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के पीठाधीश्वर के रूप में उन्होंने शिक्षा एवं समाज सेवा को अपनी प्राथमिकताओं में रखा है, जिससे यह स्थल आध्यात्मिक तथा सामाजिक उत्थान का केंद्र बन गया है।

2.3 आध्यात्मिकता की ओर झुकाव : गुरु भक्ति और शिष्यत्व की प्राप्ति

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श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) का जीवन एक प्रेरणा स्रोत है, जिसमें साधना एवं सेवा का अद्वितीय समन्वय है। बचपन से ही उनका हृदय साधु-संतों के प्रति गहरी श्रद्धा एवं प्रेम से भरा हुआ था। इस सच्ची श्रद्धा को देखकर उनके पिताजी ने उन्हें बाबा खींवादास जी महाराज के चरणों में समर्पित कर दिया था। बाबा खींवादास जी महाराज के सानिध्य ने उनको जीवन का सही मार्ग दिखाया एवं उनकी आध्यात्मिक यात्रा को एक नई दिशा प्रदान की। बाबा जी के उपदेशों ने उन्हें यह समझाया कि सच्ची आध्यात्मिकता केवल बाहरी दिखावे से नहीं, बल्कि अंतरात्मा की शुद्धता से आती है।

श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) का जीवन गुरु भक्ति और शिष्यत्व की एक जीवित मिसाल है। जब वे बाबा बंशीदास जी महाराज के सानिध्य में आए, तो उनके जीवन की दिशा पूरी तरह से बदल गई। बाबा बंशीदास जी महाराज के सानिध्य का हर पल उनकी सेवा भावना को प्रगाढ़ कर रहा था। वे केवल एक शिष्य नहीं, बल्कि एक सच्चे भक्त एवं सेवक बनकर उभर रहे थे। धूणी माता की साधना और गुरु के साथ बिताए गए पल उनके जीवन का सबसे बड़ा वरदान साबित हुए।

गुरु के प्रति उनकी इतनी निष्ठा थी कि उन्होंने हर कार्य को गुरु की सेवा ही समझा। गुरु के आदेश को सर्वोच्च मानते हुए उन्होंने आश्रम के धार्मिक कार्यक्रमों में अग्रणी भूमिका निभाई। वे सिर्फ एक शिष्य नहीं, बल्कि बाबा बंशीदास जी महाराज के विचारों के सशक्त प्रवक्ता बन गए। उनकी सेवा एवं समर्पण भावना ने आश्रम की शोभा को और अधिक बढ़ा दिया।

2.4 आध्यात्मिक नेतृत्व : पीठाधीश्वर पद

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श्री ओमदास जी महाराज के जीवन का अध्यात्म के क्षेत्र में सर्वोच्च स्थान है। 20 फरवरी 2017 को पीठाधीश्वर के पद पर उनकी नियुक्ति ने यह सिद्ध कर दिया कि उन्होंने जो मेहनत, समर्पण और सेवा की है, वह सच्चे गुरु के आशीर्वाद का परिणाम है। उन्होंने आश्रम के प्रबंधन और आध्यात्मिक गतिविधियों को न केवल व्यवस्थित किया, बल्कि उन्हें और अधिक सशक्त बनाया।

आज उनके उपदेश लोगों को आत्म-सुधार एवं सामाजिक उत्थान की प्रेरणा देते हैं। वे कहते हैं, ‘जो दूसरों के लिए जीता है, वही जीवन का असली आनंद अनुभव करता है।’ उनका यह सिद्धांत है कि यदि हम अपने जीवन को गुरु के मार्गदर्शन में जीते हैं, तो हर कदम पर सफलता एवं संतोष मिलेगा।

2.5 धार्मिक और आध्यात्मिक विचार

श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) का बचपन से ही धार्मिक एवं आध्यात्मिक विचारों की ओर झुकाव रहा है। उनके जीवन में ‘कर्म प्रधान विश्व करि राखा’ का गहरा प्रभाव रहा है। वे कहते हैं, “कर्म से ही इंसान अपनी पहचान बनाता है एवं सच्चा कर्म वही है जो दूसरों के लिए उपयोगी है।” उनकी सोच यह सिखाती है कि जीवन में संघर्ष से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उसे अवसर की तरह अपनाना चाहिए।

श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) समाज में भाईचारे एवं कल्याण का संदेश देते हैं। ‘परहित सरिस धर्म नहीं भाई’ के सिद्धांत को अपनाते हुए उन्होंने हर परिस्थिति में दूसरों की मदद करने को प्राथमिकता दी। उनकी शिक्षा और अनुभव ने उन्हें एक मजबूत एवं प्रेरणादायक व्यक्तित्व बना दिया है।

3. उच्च शिक्षा के संरक्षक : श्री ओमदास जी महाराज

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3.1 सांगलिया धूणी के बाबा लादूदास जी महाराज और बाबा खींवादास जी महाराज का शिक्षा एवं समाज सेवा में योगदान

संतों का जीवन मानवता की सेवा एवं समाज सुधार के लिए समर्पित होता है। वे न केवल धार्मिक आस्थाओं का प्रचार करते हैं, बल्कि शिक्षा के माध्यम से समाज में समरसता, समानता एवं सामाजिक न्याय का प्रचार भी करते हैं। सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के बाबा लादूदास जी महाराज ने शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है। उनके शिष्य बाबा खींवादास जी महाराज ने 1996 में सांगलिया ग्राम के पास बामनी तलाई में महाविद्यालय की स्थापना की। इससे उच्च शिक्षा के कार्य को नई दिशा एवं मजबूती मिली है। वर्तमान में श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) अपने पूर्ववर्ती संतों की परंपरा को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं।

उनके नेतृत्व में बाबा खींवादास शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान ने महाविद्यालय की नींव को और अधिक मजबूत किया है। यह संस्थान ग्रामीण क्षेत्र के लगभग 2500 छात्र एवं छात्राओं को उच्च शिक्षा का अवसर प्रदान कर रहा है। सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के इस संस्थान द्वारा उच्च शिक्षा एवं समाज सेवा के लिए कई कार्य किए जा रहे हैं।

बाबा खींवादास महाविद्यालय एवं बाबा खींवादास डिफेंस एकेडमी समाज के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। इसके अतिरिक्त सांगलिया ग्राम में स्कूल, आयुर्वेद चिकित्सालय, पशु चिकित्सालय एवं गौशाला का संचालन भी किया जा रहा है। ये सभी सेवाएं ग्रामीण समुदाय की आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक सिद्ध हो रही हैं।

3.2 श्री ओम दास जी महाराज की शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्धियां

21 दिसंबर 2020 को बाबा खींवादास स्नातकोत्तर महाविद्यालय, सांगलिया को एक नई पहचान मिली। श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) के प्रयासों से इसे निदेशालय उच्च शिक्षा से स्थायी मान्यता प्राप्त हुई। महाविद्यालय को विज्ञान संकाय में छह विषयों के स्नातकोत्तर डिग्री कार्यक्रम की मान्यता मिली। यह प्रयास ग्रामीण छात्रों के लिए उच्च शिक्षा के बेहतर अवसर लेकर आया।

2 सितंबर 2021 को महाविद्यालय ने एक और उपलब्धि हासिल की। लोसल कस्बे के पास स्थित इस संस्थान को एनसीसी की 80 सीटों का अलॉटमेंट लेटर प्राप्त हुआ। इससे स्थानीय युवाओं में नई ऊर्जा एवं जोश का संचार हुआ। एनसीसी के प्रति युवाओं में उत्साह की एक नई लहर देखी गई। अब सीकर एवं झुंझुनूं क्षेत्र के छात्र-छात्राएं बाबा खींवादास महाविद्यालय से एनसीसी कोर्स कर पा रहे हैं। यह कोर्स उन्हें देश सेवा में योगदान देने के लिए तैयार कर रहा है।

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3.3 देशभक्ति और सेवा की भावना

24 नवंबर 2021 को तीसरी राज बटालियन द्वारा आयोजित एनसीसी कैंप में बाबा खींवादास महाविद्यालय के 27 कैडेट्स का चयन हुआ। इन कैडेट्स ने श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) से आशीर्वाद प्राप्त कर देश सेवा करने का प्रण लिया। इसके बाद 29 नवंबर 2021 को राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) के स्थापना दिवस पर कैडेट्स ने महाविद्यालय परिसर और बामणी बस स्टैंड पर श्रमदान किया।

27 जुलाई 2022 को बाबा खींवादास महाविद्यालय में देशभक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिला। श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) के मार्गदर्शन में कैडेट्स ने कारगिल विजय दिवस मनाया। इस अवसर पर हरिपुरा गांव के शहीद श्योदानाराम के स्मारक पर माल्यार्पण किया गया। यह कार्यक्रम देश के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करने का विशेष अवसर था। कैडेट्स ने वीर शहीदों के बलिदान को नमन करते हुए देशभक्ति की भावना का प्रदर्शन किया। इस आयोजन ने युवा पीढ़ी को राष्ट्रसेवा एवं बलिदान के महत्व का संदेश दिया।

10 फरवरी 2023 को आयोजित कालीबाई भील स्कूटी योजना में बाबा खींवादास महाविद्यालय की पांच मेधावी छात्राओं को स्कूटी प्रदान की गई। इस अवसर पर श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने इन छात्राओं को आशीर्वाद देकर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। यह आयोजन न केवल छात्राओं के लिए एक प्रेरणा था, बल्कि पूरे समुदाय को शिक्षा की दिशा में और अधिक समर्पित होने की प्रेरणा देने वाला था।

1 मार्च 2023 को बाबा खींवादास महाविद्यालय, सांगलिया (Sangliya) में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर मोदी महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. मनोज मिश्रा ने छात्रों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। कार्यक्रम में कई गतिविधियाँ आयोजित की गईं। विज्ञान संगोष्ठी, चित्रकला प्रतियोगिता, वाद-विवाद एवं विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस आयोजन ने छात्रों में नवाचार एवं अनुसंधान की भावना को प्रोत्साहित किया।

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3.4 राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर संगोष्ठी एवं रोजगार मेले का आयोजन

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन की चुनौतियां एवं संभावना विषय पर 13 नवंबर 2024 को सांगलिया कॉलेज में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. अनिल कुमार राय ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। उन्होंने अपने विचार रखते हुए कहा कि यह नीति व्यक्ति के सर्वांगीण विकास पर जोर देती है। इसके तहत कौशल विकास के लिए इंटर्नशिप को अनिवार्य बनाया गया है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता अखिल भारतीय सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के पीठाधीश्वर श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने की। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि जीवन में अपने लक्ष्य को पाने का दृढ़ संकल्प ही सफलता का मूल मंत्र है। महाराज श्री ने विद्यार्थियों को जिद एवं मेहनत के साथ आगे बढ़ने की सीख दी।

अखिल भारतीय सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के पीठाधीश्वर श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) के नेतृत्व में सांगलिया गांव में रोजगार मेले का आयोजन किया गया। यह मेला युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने तथा उनकी क्षमताओं के आधार पर सही दिशा में प्रेरित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। इस रोजगार मेले का मुख्य उद्देश्य बेरोजगारों एवं ग्रामीण युवाओं को प्रतिष्ठित कंपनियों से जोड़ कर, उन्हें आत्मनिर्भरता के साथ आत्मविश्वास प्रदान करना था।

इस मेले में 2678 युवाओं ने ऑनलाइन एवं ऑफलाइन पंजीकरण करवाया। गुजरात के कॉसमॉस ग्रुप और जयपुर की एमबी एनालाइटिक्स जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों ने रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए। श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने युवाओं को आत्मनिर्भर बनने एवं अपने कौशल के अनुसार रोजगार प्राप्त करने की प्रेरणा दी।

4. राजनेताओं का सांगलिया धूणी में आगमन : जनता की अपेक्षाएं

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सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) का आध्यात्मिक एवं राजनीतिक महत्व राजस्थान के प्रमुख नेताओं के बार-बार आगमन से स्पष्ट होता है। नेताओं का आगमन स्थानीय जनता की अपेक्षाओं को बढ़ाता है एवं उनके विकास की दिशा में किए जाने वाले प्रयासों को गति प्रदान करता है।

4.1 उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आगमन

सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं वर्तमान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का आगमन एक ऐतिहासिक अवसर रहा। उपराष्ट्रपति ने धूणी माता के दर्शन कर श्रद्धा व्यक्त की एवं उसकी दिव्यता से नई ऊर्जा प्राप्त की। सभी नेताओं ने समाज के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छ पेयजल एवं बेहतर विद्युत व्यवस्था की आवश्यकताओं पर जोर दिया।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के संतों द्वारा शिक्षा एवं गौ सेवा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की। उन्होंने इस पवित्र स्थल पर आकर सुकून महसूस किया। इसे समाज सेवा एवं आध्यात्मिक प्रेरणा का केंद्र बताया। यह आगमन सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के महत्व एवं इसके संतों के योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने का प्रतीक बना।

4.2 राज नेताओं की यात्राओं के दौरान चर्चाएं और घोषणाएं

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13 जनवरी 2023 : श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की। उन्होंने राज्यपाल को बाबा खींवादास महाविद्यालय के वार्षिक उत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया।

24 मई 2023 : कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव मोहन प्रकाश ने सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) का दौरा किया। उन्होंने धूणी के नवीन भवन निर्माण एवं शैक्षणिक उन्नयन के लिए विस्तार से चर्चा की।

9 सितंबर 2023 : केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने धूणी माता के दर्शन किए एवं समाधियों पर माथा टेका। उन्होंने श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) के कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

29 सितंबर 2023 : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) का दौरा किया। उन्होंने संतों के सामाजिक कार्यों की सराहना की। इस दौरान राज्य सरकार ने सांगलिया उप स्वास्थ्य केंद्र को पीएचसी में बदलने एवं रोडवेज बसों के संचालन के आदेश जारी किए।

6 अक्टूबर 2023 : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपनी पत्नी के साथ सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के दर्शन किए। उन्होंने शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) के योगदान की सराहना की।

5 अप्रैल 2024: मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने धूणी माता के दर्शन किए। उन्होंने श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) से आशीर्वाद लिया और प्रदेशवासियों की सुख-शांति एवं समृद्धि की कामना की।

6 अप्रैल 2024: नागौर की पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा ने सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के दर्शन किए। उन्होंने श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) से आशीर्वाद प्राप्त किया एवं उनके सामाजिक योगदान की प्रशंसा की।

5. सामाजिक जागरूकता और जन चेतना शिविर : एक नई शुरुआत

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जन चेतना शिविर केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करने का एक प्रेरणादायक माध्यम है। इन शिविरों का उद्देश्य न सिर्फ लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है, बल्कि एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जहाँ समानता, शांति एवं समरसता का संदेश हर दिल तक पहुँचे।

13 अप्रैल 2023, सीकर (रामलीला मैदान) – इस आयोजन में बाबा श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने अपने संदेश में छुआछूत, भेदभाव एवं असमानता की दीवारों को तोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जब शिक्षा और स्वास्थ्य के द्वार हर व्यक्ति के लिए खुले होंगे, तभी समाज में असल बदलाव आएगा। महंत श्री दिनेश गिरी ने संविधान की ताकत को समझाते हुए कहा कि इसे जन-जन तक पहुँचाना होगा, ताकि हर व्यक्ति अपने अधिकारों को समझे और उन्हें प्राप्त कर सके।

24 अप्रैल 2023, गुढाबावनी (झुंझुनूं) – श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने इस अवसर पर कहा कि यदि हम आज ईमानदारी से काम करें, तो समाज में कोई भी वर्ग वंचित नहीं रहेगा। उन्होंने बालिका शिक्षा एवं संस्कारयुक्त शिक्षा की आवश्यकता पर बल दिया। उनका संदेश था कि हर बच्चा, चाहे वह लड़का हो या लड़की, समाज के किसी भी वर्ग से हो, उसे शिक्षा का समान अवसर मिलना चाहिए।

14 मई 2023, बंधे का बालाजी (झुंझुनूं) – इस समारोह में डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों को फैलाने का संकल्प लिया गया। हर इंसान को समान अवसर एवं समान अधिकार मिलना चाहिए। समाज से हर तरह की असमानता और ऊँच-नीच की भावना को समाप्त करने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने प्रेम, सहयोग एवं भाईचारे की भावना को समाज के हर कोने तक पहुँचाने का आह्वान किया।

26 जून 2023, कुचामन सिटी – श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने इस कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि सरकारों को अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से निभानी चाहिए। उनका मानना है कि यदि सरकारें सही तरीके से काम करें, तो समाज में कोई भी गरीब या वंचित नहीं रहेगा। उन्होंने डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की शिक्षाओं को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका विश्वास है कि यदि हम उनके विचारों को अपने जीवन में उतारें, तो समाज में असली परिवर्तन आ सकता है।

5.1 जन चेतना शिविरों का उद्देश्य

जन चेतना शिविरों का उद्देश्य केवल शैक्षिक या कानूनी जानकारी देना नहीं है। यह समाज में एक नई सोच एवं दृष्टिकोण विकसित करने की प्रक्रिया है। इन शिविरों के माध्यम से समाज को जागरूक किया जा सकता है एवं बदलाव की नींव रखी जा सकती है।

जब तक हर व्यक्ति को समान अवसर नहीं मिलते, तब तक समाज में बदलाव की उम्मीद नहीं की जा सकती। जन चेतना शिविर समाज के हर वर्ग को जागरूक करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हर शिविर ने एक नया विश्वास एवं उम्मीद पैदा की है, जो समाज को एक बेहतर एवं समर्पित दिशा में ले जाने के लिए प्रेरित करेगा।

6. चिकित्सा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में संतों का योगदान

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संतों ने सदैव समाज कल्याण के लिए न केवल आध्यात्मिक, बल्कि चिकित्सा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका उद्देश्य समाज को केवल आत्मिक कल्याण तक सीमित न रखते हुए, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता देना है। संतों ने अस्पतालों, चिकित्सा केंद्रों एवं आरोग्य सदनों की स्थापना की, ताकि आम जनता को स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से मिल सकें एवं समाज स्वस्थ, सशक्त तथा खुशहाल बन सके।

बाबा लादूदास जी महाराज ने सांगलिया ग्राम में आयुर्वेद औषधालय की स्थापना की, जो आज भी चिकित्सा के क्षेत्र में एक प्रेरणा स्रोत है। उनका उद्देश्य समाज के हर वर्ग को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना था। वर्तमान में श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) इस कार्य को आगे बढ़ाते हुए बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए कटिबद्ध हैं।

दिनांक: 3 अक्टूबर 2018 – श्री ओमदास जी महाराज का गुजरात के सूरत में राजस्थान छायड़ो हॉस्पिटल में भव्य स्वागत किया गया। इस अवसर पर कोलकाता प्रवासी खलील पंवार ने उन्हें राम नाम का दुपट्टा पहनाकर सामाजिक समरसता का संदेश दिया। इस मौके पर महाराज ने सेठ सांवलसा हॉस्पिटल के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि प्रवासी बंधु अपनी जन्मभूमि के साथ-साथ कर्मभूमि पर भी सेवा भाव से कार्य कर जनकल्याण का कार्य कर रहे हैं।

दिनांक: 30 अप्रैल 2020 – कोरोना वायरस महामारी के दौरान श्री ओमदास जी महाराज ने सीकर, चुरू और नागौर के कई गांवों में लाखों रुपये की खाद्य सामग्री के किट वितरित किए। इस कार्य को गुरु महाराज की कृपा से सम्पन्न बताते हुए उन्होंने कहा कि नर सेवा ही नारायण सेवा है। इस महामारी में उन्होंने सैकड़ों लोगों की मदद की और जनता की सेवा का अनुकरणीय कार्य किया।

दिनांक: 11 अगस्त 2020 – जन्माष्टमी के दिन बाबा खींवादास जी महाराज की 19वीं बरसी के अवसर पर लाखों श्रद्धालु सांगलिया धूणी में आने वाले थे, लेकिन कोरोना के प्रकोप को देखते हुए श्री ओमदास जी महाराज ने कार्यक्रम स्थगित करने का निर्णय लिया। उन्होंने श्रद्धालुओं से सोशल मीडिया के माध्यम से दर्शन लाभ लेने का आग्रह किया और कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने की अपील की।

दिनांक: 17 जून 2021 – श्री ओमदास जी महाराज ने राजकीय श्री कल्याण अस्पताल को ₹1.21 लाख मूल्य के मेडिकल उपकरण भेंट किए। इस अवसर पर उन्होंने एस. के. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. के. के. वर्मा और पीएमओ डॉ. अशोक चौधरी को ये उपकरण सौंपे। जिला कलेक्टर अविचल चतुर्वेदी और कॉलेज प्राचार्य डॉ. के. के. वर्मा ने उनके इस मानव कल्याण कार्य की सराहना की।

दिनांक: 22 अक्टूबर 2021 – श्री ओमदास जी महाराज ने बाबा खींवादास स्नातकोत्तर महाविद्यालय में दीप प्रज्जवलित कर डालमिया सेवा ट्रस्ट और भारतीय सेवा संस्थान द्वारा ग्राम सांगलिया में निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन कराया। इस शिविर में 210 लोग दमा, श्वास, गठिया, मधुमेह, लीवर और पत्थरी जैसी बीमारियों से लाभान्वित हुए।

दिनांक: 29 जनवरी 2022 – श्री ओमदास जी महाराज के सानिध्य में बाबा खींवादास महाविद्यालय में उप स्वास्थ्य केंद्र सांगलिया के नर्सिंग स्टाफ द्वारा कोरोना का टीकाकरण शिविर आयोजित किया गया। इस शिविर में 40 से अधिक छात्र-छात्राओं को कोवेक्सिन और कोविशील्ड की डोज दी गई। यह शिविर महाविद्यालय में चौथी बार आयोजित किया गया था।

7. समाज सेवा : विभिन्न आयाम

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समाज सेवा केवल एक कर्तव्य नहीं, बल्कि यह मानवता के प्रति प्रेम का प्रतिबिंब है। इसका असली उद्देश्य केवल व्यक्तित्व का विकास नहीं, बल्कि सम्पूर्ण समाज के कल्याण की ओर अग्रसर होना है। संतों ने समाज के उत्थान को अपने जीवन का मुख्य उद्देश्य बनाया है और उनका योगदान अनमोल है। श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने समाज की सेवा को अपने जीवन का आधार बनाया है। वे निर्धन, असहाय एवं वंचित वर्ग के लोगों की सहायता के लिए निरंतर कार्यरत हैं।

समाज सेवा का अर्थ है समाज के विकास और कल्याण में सहायता करना। यह एक मानवीय कर्तव्य है, जिसे हर व्यक्ति को निभाना चाहिए। संतों ने समाज सेवा एवं उसके उत्थान को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया है। श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) निर्धन एवं असहाय लोगों तथा उनके बच्चों की शिक्षा, भोजन, आवास एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।

26 सितंबर 2021 को आयोजित रीट परीक्षा में भाग लेने वाले विद्यार्थियों के लिए श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने निःशुल्क आवास और भोजन की व्यवस्था की। इस पहल ने विद्यार्थियों को परीक्षा की चिंताओं से मुक्ति दी एवं उन्हें एक आरामदायक वातावरण प्रदान किया।

6 अक्टूबर 2021 को बाबा खींवादास महाविद्यालय के एनसीसी यूनिट द्वारा श्रमदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस पहल का उद्देश्य विद्यार्थियों में समाज के प्रति जिम्मेदारी एवं कार्यों में सहयोग की भावना को बढ़ावा देना था।

6 अक्टूबर 2021 को ग्राम सांगलिया (Sangliya) में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने स्वैच्छिक रक्तदान और स्वर्ण प्राशन शिविर का उद्घाटन किया। इस शिविर में 121 यूनिट रक्त संग्रहित किया गया एवं 410 बच्चों को स्वर्ण प्राशन करवाया गया। यह स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम था एवं समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य था।

21 अप्रैल 2022 को बाबा खींवादास पीजी महाविद्यालय का 26वां वार्षिकोत्सव श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) के सानिध्य में मनाया गया। इस समारोह में पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां जैसे प्रमुख नेता भी शामिल हुए। श्री ओमदास जी ने कहा कि इस संस्थान का उद्देश्य केवल शिक्षा नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग को उच्च शिक्षा प्रदान कर एक आदर्श प्रस्तुत करना है।

इन कार्यों के माध्यम से श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने समाज के प्रति अपने दायित्वों को निभाया। उनकी निःस्वार्थ सेवा ने हजारों लोगों की जिंदगी में सुधार किया एवं यह साबित किया कि समाज में बदलाव लाने के लिए कोई भी छोटा या बड़ा कदम महत्वपूर्ण हो सकता है। समाज सेवा केवल एक व्यक्तिगत कार्य नहीं है, बल्कि यह एक सामूहिक प्रयास है, जिसमें हर व्यक्ति का योगदान समाज की बेहतरी में मदद करता है।

8. श्रद्धा और आदर्श की प्रतीक : संतों की मूर्ति स्थापना

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धर्म एवं अध्यात्म मानव समाज के मूल आधार हैं। संत महात्मा एवं धर्मगुरु, धर्म और अध्यात्म के आधार पर समाज का मार्गदर्शन करते रहे हैं। उनके उपदेशों का स्मरण करने एवं उनके आदर्शों पर चलने के लिए उनकी मूर्तियों की स्थापना की जाती है। संतों की मूर्तियाँ हमें यह स्मरण कराती हैं कि कभी ऐसे दिव्य एवं महान पुरुष हमारे बीच में निवास करते थे। जब हम किसी संत की मूर्ति के सामने आत्मीय भाव से प्रार्थना करते हैं, तो हमारी श्रद्धा और आदर्शों में एक नई ऊर्जा का संचार होता है।

दिनांक 31 जनवरी 2018 को, श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के भूतपूर्व पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 श्री बंशीदास जी महाराज एवं श्री श्री 1008 श्री भगतदास जी महाराज की मूर्तियों का अनावरण किया। इस अवसर पर 30 जनवरी की रात्रि में सत्संग का आयोजन किया गया एवं 31 जनवरी को प्रातः 10 बजे समाधियों का पूजन कर प्रतिमाओं की स्थापना की गई।

यह अनुष्ठान श्रद्धा एवं आदर्शों के प्रति समर्पण का प्रतीक था। संतों की मूर्तियाँ न केवल उनकी शिक्षाओं एवं आदर्शों को स्मरण करने का माध्यम हैं, बल्कि यह भी प्रेरणा देती हैं कि हम उनके दिखाए मार्ग पर चलें एवं समाज में प्रेम, सेवा और समानता का संदेश फैलाएँ।

9. देश-विदेश की यात्रा : एक धार्मिक संदेश

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सांगलिया धूणी के संत हमेशा समाज में चेतना की अलख जगाने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करते रहे हैं। इन संतों ने देश-विदेश में घूमकर सत्य, अहिंसा, प्रेम, दया एवं गुरु भक्ति का संदेश फैलाया। इसी कड़ी में श्री ओमदास जी महाराज ने 13 मार्च 2020 को ओमान, शारजाह एवं अबू धाबी समेत कई स्थानों का दौरा किया। इस यात्रा के दौरान उन्होंने सत्संग के माध्यम से देश सेवा और गुरु भक्ति का संदेश दिया।

स्वामी श्री ओमदास जी महाराज 20 अक्टूबर 2024 को एक सप्ताह के दौरे पर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) पहुँचे। वहां उन्होंने भारतीय प्रवासियों द्वारा आयोजित कई धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लिया। इस दौरान अबू धाबी स्थित राम मंदिर में उनके सानिध्य में एक भव्य सत्संग का आयोजन हुआ।

यह राम मंदिर के निर्माण के बाद पहला बड़ा धार्मिक उत्सव था, जिसमें सैकड़ों प्रवासी भारतीयों ने भाग लिया। सत्संग में फुजिरा, दुबई, रसल अल खेमा, शारजाह, उम अल क्वीन, आबू धाबी और अजमान के प्रवासी भारतीयों ने भागीदारी की।

अपने प्रवचनों में स्वामी ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने कहा, दया ही धर्म का मूल है। प्रत्येक प्राणी की सेवा हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने प्रवासी भारतीयों को अपनी मातृभूमि एवं सनातन संस्कृति से जुड़े रहने की प्रेरणा दी। साथ ही उन्होंने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना को अपनाने की अपील की, जो समग्र मानवता के लिए एकता एवं भाईचारे का संदेश देती है।

10. खेलकूद : सामाजिक एकता का स्रोत

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खेलकूद का मानव जीवन में अत्यधिक महत्व है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, बल्कि आत्मिक शांति और मानसिक संतुलन का भी एक महत्वपूर्ण साधन है। खेलकूद के माध्यम से जाति, धर्म और सामाजिक भेदभाव मिटते हैं, और समाज में एकता की भावना को बल मिलता है। श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj), जो सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) से जुड़े हैं, ने खेलकूद के माध्यम से युवाओं को सही दिशा में मार्गदर्शन देते हुए, समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का कार्य किया है।

1 दिसंबर 2021 को श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने ग्राम सांगलिया में बाबा खींवादास डिफेंस स्पोर्ट्स एकेडमी की स्थापना की। यह देश की पहली डिफेंस एकेडमी है, जो संतों के आशीर्वाद से संचालित होती है। इस एकेडमी का उद्देश्य युवाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाना है, ताकि वे अपने देश की सेवा में अपना योगदान दे सकें और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें। सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के इस महत्वपूर्ण कदम से युवाओं में राष्ट्र सेवा की भावना जागृत हुई है।

इसके बाद, 6 दिसंबर 2021 को नवलगढ़ के राधेश्याम मोरारका राजकीय महाविद्यालय में आयोजित अंतर महाविद्यालय टेबल टेनिस प्रतियोगिता में बाबा खींवादास महाविद्यालय के छात्रों ने खिताब जीता। यह सफलता उनकी मेहनत और श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) के मार्गदर्शन का परिणाम है, जो हमेशा छात्रों को प्रेरित करते हैं। सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के इस मार्गदर्शन से छात्रों को न केवल खेलकूद, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने के लिए प्रेरणा मिली।

20 अक्टूबर 2022 को शेखावाटी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इंटर कॉलेज खो-खो प्रतियोगिता के पुरुष वर्ग में बाबा खींवादास स्नातकोत्तर महाविद्यालय की टीम ने फाइनल में जीत हासिल की। यह जीत महाविद्यालय की प्रतिष्ठा को और ऊँचा करने में मददगार साबित हुई और यह साबित कर दिया कि संतों के आशीर्वाद से विद्यार्थी किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के इस योगदान से छात्रों को खेलकूद के प्रति उनकी प्रतिबद्धता में एक नई ऊर्जा मिली।

पश्चिम क्षेत्र अंतर विश्वविद्यालय क्रिकेट प्रतियोगिता 2022 में बाबा खींवादास महाविद्यालय के चार खिलाड़ी – हिमांशु शर्मा, नानूराम, मनीष गढ़वाल और संग्राम सिंह – ऑल इंडिया क्रिकेट टीम में चयनित हुए। यह उपलब्धि महाविद्यालय के खेल विभाग और श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) की प्रेरणा का परिणाम है, जिसने छात्रों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के इस योगदान से विद्यार्थियों का आत्मविश्वास बढ़ा और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर अपना स्थान बनाने का अवसर मिला।

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आईपीएल में चयनित होकर हिमांशु शर्मा ने महाविद्यालय को गौरवान्वित किया। 2022 के वार्षिकोत्सव में श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने हिमांशु को सम्मानित करते हुए कहा कि यह खिलाड़ी भविष्य में टेलीविजन पर खेलते हुए नजर आएंगे। उनकी यह सफलता न केवल उनकी व्यक्तिगत मेहनत का परिणाम है, बल्कि सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) और संतों के आशीर्वाद का प्रतीक है।

24 अगस्त 2023 को जयपुर में आयोजित पावर स्पोर्ट्स एंड एसोसिएशन ऑफ इंडिया प्रतियोगिता में अर्चना बिलोनिया ने 300 किलोग्राम वेट लिफ्ट कर स्वर्ण पदक जीता। अर्चना, जो बाबा खींवादास महाविद्यालय की एम.ए. राजनीति शास्त्र की छात्रा हैं, ने इस उपलब्धि के माध्यम से खेलकूद के क्षेत्र में महाविद्यालय और गुरु का नाम रोशन किया। यह सफलता सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) की शिक्षा और प्रशिक्षण की प्रभावशीलता को दर्शाती है।

इन उपलब्धियों के माध्यम से बाबा खींवादास महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने खेलकूद के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया है और अपनी मेहनत से न केवल महाविद्यालय को गौरवान्वित किया है, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में भी कार्य किया है। श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) और सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के मार्गदर्शन में, यह विद्यार्थी अपने लक्ष्य की ओर निरंतर अग्रसर हो रहे हैं, और खेलकूद के माध्यम से समाज में एकता, समरसता और उन्नति का संदेश दे रहे हैं।

11. मंदिर दर्शन : सुख और समृद्धि की कामना

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मंदिर दर्शन एक अद्भुत अनुभव है। मंदिर दर्शन हमें आत्मसमर्पण, ध्यान और प्रार्थना की भावना प्रदान करता है। मंदिर की शांति और पवित्रता हमें एक उच्च ऊर्जा स्तर की ओर ले जाती है, जिससे हमारी मानसिकता सकारात्मक होती है और हमारे जीवन में संतुलन आता है। श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) और सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के मार्गदर्शन में, भक्तों का मन शांति और आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित होता है।

दिनांक 6 अक्टूबर 2021 को श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का दौरा किया। स्वर्ण मंदिर में पहुंचने पर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री सरजीत सिंह द्वारा आपका सम्मान किया गया। इस अवसर पर आपने मंदिर की व्यवस्थाओं को देखकर प्रसन्नता व्यक्त की और मंदिर कमेटी को धन्यवाद ज्ञापित किया। यह अनुभव उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण अध्याय था, जो सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के आशीर्वाद से और भी प्रभावशाली बना।

उत्तर भारत में स्थित राजराजेश्वरी कैला माता के प्रांगण में श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने दिनांक 27 फरवरी 2022 को अपने भक्त मंडल के साथ पहुंचकर माता के दर्शन किए तथा देश के लिए सुख और समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर कैला देवी मंदिर के श्री रामप्रसाद मीणा और जीतू परमार ने आपको कैला माता की तस्वीर भेंट कर स्वागत किया। यह दर्शन भगवान के आशीर्वाद से सम्पन्न हुआ, जो सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) की कृपा से प्रभावी रूप से हुआ।

दिनांक 24 मई 2023 को श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) असम के जोरहाट पहुंचे। जोरहाट एयरपोर्ट पर पहुंचने पर आपका भव्य स्वागत किया गया। सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) की असम के गुवाहाटी, दीमापुर और जोरहाट में शाखाएं हैं। महाराज श्री ने मरियानी, असम में श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा कर भव्य उद्घाटन किया। यह आयोजन सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के आध्यात्मिक प्रभाव और श्री ओमदास जी महाराज के मार्गदर्शन से सम्पन्न हुआ।

दिनांक 17 जनवरी 2024 को श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने 22 जनवरी को होने वाले श्री रामलला मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए 11 रथों से एक लाख निमंत्रण पत्र वितरित करवाए। आपने बताया कि ये रथ गांव-गांव और ढाणी-ढाणी जाकर पीले चावल बांटकर 22 जनवरी को दीपोत्सव मनाने और अयोध्या आने का निमंत्रण देंगे। यह समारोह सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) की प्रेरणा से आयोजित किया गया, जो भक्तों को धर्म, भक्ति और समाज की सेवा की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करता है।

12. विकास कार्यों का शिलान्यास : सवा लाख वर्ग फीट में भव्य निर्माण कार्य

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अखिल भारतीय सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) में श्री श्री 1008 श्री लक्कड़ दास जी महाराज, मंगलदास जी महाराज, लादूदास जी महाराज एवं संत शिरोमणि बाबा खींवादास जी महाराज की कृपा से नये भवन के निर्माण के लिये भूमि पूजन दिनांक 09 मार्च 2023 को श्री श्री 108 श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) के कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर आपने बताया कि इस नवीन भवन का कुल क्षेत्रफल सवा लाख वर्ग फीट होगा। जिसमें भव्य प्रवेश द्वार, भंडार कक्ष, विश्राम कक्ष तथा विशाल सभागार का निर्माण किया जायेगा। यह भवन सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को और भी प्रगाढ़ करेगा।

13. गौ-सेवा : एक संत की दीर्घकालिक साधना

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श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने गौ-सेवा को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया है। आपने गौ-माता के प्रति अपना अद्वितीय प्रेम प्रकट किया। गौ-सेवा के क्षेत्र में आप द्वारा किये जा रहे कार्यों ने समाज के अन्य गौ-भक्तों को भी जागरुक किया है। सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के बहुत से भक्त गौ-सेवा एवं गौ-वंश के संरक्षण में लगे हुए हैं।

समस्त ग्रामवासियों के सहयोग से श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) के सानिध्य में दिनांक 6 नवम्बर 2019 को बाबा लक्कड़दास गौशाला समिति – सांगलिया में पूज्या साध्वी श्रद्धा गोपाल सरस्वती जी के श्रीमुख से श्री गौ-कृपा कथा का वाचन किया गया। कथा से प्राप्त राशि, कथा खर्च के बाद, बाबा लक्कड़दास गौशाला समिति – सांगलिया को गौशाला में व्यवस्था हेतु प्रदान की गई।

बाबा लक्कड़दास गौशाला में दिनांक 19 दिसम्बर 2020 को श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) के निर्देशन में गौ-ग्रास सवामणी का आयोजन शुरू किया गया। आज इस गौशाला में गौ-ग्रास सवामणी करने के लिए गौ-भक्तों की कतार लगी है। दिनांक 19.02.2023 तक इस गौशाला में गौ-ग्रास सवामणी के 807 आयोजन हो चुके हैं। गौ-ग्रास सवामणी में गायों को सूखा चारा, हरा चारा खिलाने के साथ गेहूं व बाजरा का दलिया, 50 किलो गुड़, तेल, अजवायन, मैथी आदि खाद्य पदार्थ उपयोग में लिए जाते हैं। इस कार्य के लिए बहुत से गौ-भक्त सेवा में लगे हैं।

दिनांक 18 नवम्बर 2021 को नवलगढ़ के जेजूसर गांव में भगतसिंह किसान गौशाला संस्थान की आधारशिला श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) के कर कमलों द्वारा रखी गई। इस विशाल कार्यक्रम में कई संत-महात्मा, समाजसेवी, राजनेता तथा गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। आपने गौशाला निर्माण के लिए एक लाख ग्यारह हजार रुपये इस अवसर पर प्रदान किए।

13.1 गौसेवा और समाज में मानवीय मूल्यों को जागृत करना

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दिनांक 01 जनवरी 2022 को बाबा लक्कड़दास महाराज गौशाला सांगलिया में श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) के सानिध्य में वैक्सीन कैंप लगाया गया। बाबा खींवादास स्नातकोत्तर महाविद्यालय के एनसीसी कैडेट्स ने वैक्सीनेशन कार्यक्रम में भाग लिया। इस वैक्सीनेशन कैंप में सांगलिया ग्राम के पशु चिकित्सा केंद्र के बजरंग लाल ने गायों को वैक्सीन लगाने का कार्य किया।

मुकंदगढ़ कस्बे में श्री रामभक्त हनुमान फाउंडेशन द्वारा संचालित गौशाला में लंपी वायरस रोग के समय रेस्क्यू सेंटर चलाया गया। इस सेंटर पर श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने दिनांक 02 फरवरी 2022 को दौरा कर बेसहारा गौवंश की सेवा कार्यों की व्यवस्थाओं का जायजा लिया।

सांगलिया ग्राम के चौहान बावरी समाज ने बाबा लक्कड़दास गौशाला सांगलिया के लिए एक लाख सत्तर हजार रुपये का आर्थिक सहयोग प्रदान किया। यह सहयोग गौसेवा और समाज के प्रति समर्पण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इस अवसर पर सांगलिया पीठाधीश्वर श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने कहा कि प्रत्येक जीव से प्रेम करना और मनुष्य में मानवता जागृत करना हमारा मुख्य संकल्प है।

महाराज श्री ने यह भी बताया कि गौभक्त अपनी सात्विक ऊर्जा और समर्पण के साथ पिछले कई वर्षों से गौभक्ति में लगे हुए हैं। यह प्रयास न केवल गौसेवा का बल्कि प्राणी मात्र पर दया का संदेश भी देता है। गौसेवा के प्रति इस प्रकार का समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक है और समाज को मानवीय मूल्यों की ओर प्रेरित करता है।

14. दहेज प्रथा उन्मूलन : एक संत की प्रेरणा

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दहेज प्रथा एक सामाजिक बुराई है, जिसका उन्मूलन अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक स्तर पर सुधार की आवश्यकता है। श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) आज के युवाओं को बिना दहेज के विवाह करने की प्रेरणा देकर इस प्रथा के उन्मूलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

गौ-भक्त करतार सिंह शेखावत ने बताया कि हाल ही में उनके गांव में सांगलिया निवासी ठाकुर पूरण सिंह शेखावत की दो पुत्रियों की शादी हुई। दूल्हा और दुल्हन पक्ष ने श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) से प्रेरणा लेकर बिना दहेज के विवाह का संकल्प लिया और एक नई मिसाल कायम की।

खाटू बड़ी के निकटवर्ती रातंगा गांव के महेन्द्र पंवार ने श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) से मार्गदर्शन प्राप्त कर दहेज न लेने का निर्णय लिया। 14 अप्रैल 2022 को उन्होंने अपनी शादी में ससुराल पक्ष से मिलने वाले टीका, जुवारी और दहेज का त्याग कर बिना दहेज के विवाह किया। इस प्रेरक कदम की पावा ग्राम पंचायत के सरपंच रामनिवास ने सराहना की।

खाखोली ग्राम के बाबूलाल मेहरा के बेटे नेमीचंद ने बिना दहेज और बिना टीका के विवाह संपन्न किया। गाँव के नागरिक नारायणराम, राजूराम चाँद बासनी, और ओमप्रकाश कटारिया ने बताया कि बाबा साहेब की 131वीं जयंती पर श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने मृत्यु भोज, दहेज प्रथा और अन्य सामाजिक कुप्रथाओं को समाप्त करने की अपील की थी। उनकी प्रेरणा से एक रुपया और नारियल लेकर विवाह संपन्न हुआ।

14.1 सामूहिक विवाह सम्मेलन : मानव जन जागृति संस्थान

मानव जन जागृति संस्थान द्वारा 13 अक्टूबर 2024 को आयोजित 14वां सामूहिक विवाह सम्मेलन सामूहिक विवाह की परंपरा को बढ़ावा देने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। इस सम्मेलन में हर वर-वधू जोड़े को 11 पौधे उपहार स्वरूप दिए गए, जिससे पर्यावरण के प्रति समाज की जिम्मेदारी को उजागर किया गया। श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने पौधों की रक्षा और संवर्धन को वैवाहिक जीवन में सकारात्मकता का प्रतीक बताया। इसके अलावा, सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) की प्रेरणा से संस्थान ने अब तक 11,000 पौधों का वितरण किया, जो समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रेरणादायक प्रयास है।

यह सम्मेलन उन परिवारों के लिए आदर्श मंच है जो सादगीपूर्ण और सामूहिक समर्थन के साथ विवाह करना चाहते हैं। यह न केवल सामाजिक कुरीतियों का अंत करने का प्रयास है बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति योगदान देने का प्रेरणादायक उदाहरण भी है।

28 नवंबर 2024: प्रवीण और मनीषा का सादगीपूर्ण विवाह, दहेज प्रथा के खिलाफ प्रेरणादायक कदम।

14.2 दहेज के बिना सच्चे रिश्ते की मिसाल : प्रवीण एवं मनीषा की शादी

28 नवम्बर 2024 को क्यामसर गांव के प्रवीण और बोसाना गांव की मनीषा की शादी एक अनूठी मिसाल पेश करती है। स्वामी ओमदास जी महाराज की प्रेरणा से दोनों परिवारों ने मिलकर यह संकल्प लिया कि वे इस शादी को बिना दहेज और पूरी सादगी से करेंगे। बोसाना गांव के नंदलाल ने अपनी बेटी मनीषा की शादी में दहेज का कोई आदान-प्रदान नहीं किया। क्यामसर निवासी हेमाराम रोलन ने वधु पक्ष से किसी प्रकार का दहेज नहीं लिया, शगुन के रुप में केवल एक रुपया और नारियल लेकर वधु मनीषा को अपने घर ले आयें। यह शादी समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ एक मजबूत कदम है और यह दिखाता है कि सादगी और सच्चे रिश्ते सबसे महत्वपूर्ण होते हैं।

15. वृक्षारोपण के प्रेरणादायक कार्य : स्वस्थ पर्यावरण

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पर्यावरण संरक्षण के लिये वृक्षारोपण अत्यंत महत्वपूर्ण है। श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने समय-समय पर पेड़-पौधों का वितरण करवा कर पर्यावरण को स्वच्छ बनाये रखने के लिये कई प्रेरणादायक कार्य किये हैं।

नानी ग्राम जिला सीकर के महेन्द्र कुमार ने अपनी शादी की पन्द्रहवीं सालगिरह पर 21 जुलाई 2020 को श्री ओमदास जी महाराज के पावन सानिध्य में 101 पौधे लगा कर समाज को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।

सांगलिया ग्राम के दीपेन्द्र सिंह ने बताया कि सांगलिया ग्राम पंचायत की सरपंच श्रीमती मनोहरी देवी ने श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) के निर्देशन में 151 पेड़ लगाए। इसके अलावा अगले तीन वर्षों में 1000 पेड़ लगाने का संकल्प लिया गया है।

श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने हरियाली अमावस्या 2022 पर यह आह्वान किया कि मानसून के मौसम में अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए ताकि पर्यावरण शुद्ध और हरा-भरा रहे। उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए।

2023 में हरियाली अमावस्या के अवसर पर महाराज जी ने ग्यारह हजार पौधों के वितरण का संकल्प लिया और भक्तों से कहा कि वे इन पौधों को वृक्ष के रूप में विकसित करके उसकी तस्वीर भेजें जिससे यह सच्ची भक्ति मानी जाएगी।

श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने बताया कि पेड़ लगाकर हम प्रकृति के अस्तित्व को बचा सकते हैं और धरती का सौंदर्य तब तक बना रहता है जब तक मानव प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नहीं करता है। उन्होंने यह भी कहा कि मनुष्य पेड़-पौधे लगाकर प्रकृति को हरा-भरा बना सकता है और अपनी जीवनशैली को खुशहाल कर सकता है। साधु-संत प्रकृति की गोद में रहकर तपस्या करते हैं और हमें भी प्रकृति से जुड़कर जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।

16. भारतीय संस्कृति एवं देश प्रेम

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श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने भारतीय संस्कृति और संस्कारों को बचाने का महत्व समझाया। 28-29 नवंबर 2021 को डीडवाना दौरे के दौरान उन्होंने बताया कि हमें भारतीय पुरातन संस्कृति और संस्कारों को हर हाल में बचाना चाहिए ताकि हमारी पहचान और परंपरा जीवित रहें।

7 सितंबर 2022 को बाबा खींवादास महाविद्यालय सांगलिया में स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के संदर्भ में एक व्याख्यान माला का आयोजन हुआ जिसमें डॉ. ग्यारसी लाल जाट ने स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के योगदान को याद किया। इस अवसर पर श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने विद्यार्थियों और आगंतुकों को आशीर्वाद प्रदान किया।

17. जीवन के मूल्यवान संदेश : अनमोल वचन

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श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) सत्संगों, सामाजिक मंचों और धार्मिक कार्यक्रमों के माध्यम से जनमानस को जागृत करने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। आपके द्वारा दिये गये प्रवचन और उपदेश जीवन में गहरे परिवर्तन लाते हैं। विभिन्न समयों एवं स्थानों पर आप द्वारा दिये गये संदेश सभी व्यक्तियों को अपने जीवन में अपनाने के लिये प्रेरित करते हैं।

दिनांक 27 अगस्त 2018 को मकराना के जाखली गांव में आयोजित सत्संग में श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) ने भक्तों को आशीर्वाद देते हुए बताया, ‘सत्संग के सुनने से मनुष्य के विवेक, मनोबल और बुद्धि का विकास होता है। ईश्वर में आस्था रखते हुए इंसान को सत मार्ग पर चलते हुए ज्यादा से ज्यादा परोपकार करना चाहिए।’

18 फरवरी 2019 को मकराना तहसील के अमरसर-मनाना गांव में श्री लादूदास जी महाराज की 54वीं पुण्यतिथि पर आयोजित सत्संग में आपने कहा, ‘संत केवल मानव जीवन की भलाई के लिये ही सन्यासी बनते हैं। जहां संतों का वास होता है, वहां की धरती हमेशा पवित्र होती है। संतों की महिमा से ही जीवन निर्मल और पवित्र होता है।’

‘संसार में केवल साहेब ही एक ऐसा है जो सर्वज्ञ होने के कारण कभी भी कोई गलती नहीं करता है। बाकी तो अल्पज्ञ होने के कारण कहीं न कहीं कोई न कोई गलती करते ही हैं।’

‘जो लोग अपनी गलतियों का सुधार करने में ध्यान देते हैं, उनकी गलतियां धीरे-धीरे कम होती जाती हैं। परंतु जो लोग आलसी, प्रमादी, स्वार्थी, मूर्ख और दुष्ट होते हैं, वे अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करते और दुःख पाते हैं।’

जीवन को सुंदर और सुखमय बनाना: ‘आपका जीवन साहेब की दी हुई अनुपम भेंट है। इसे सुंदर और सुखमय बनाना आपका कर्तव्य है। आप कर्म करने में स्वतंत्र हैं, लेकिन इस स्वतंत्रता का दुरुपयोग न करें।’

वाणी और मौन का महत्व: ‘हर समय बोलना और कुछ भी बोल देना अच्छा नहीं है। यदि बोलना आवश्यक हो तो सत्य और हितकारी बोलना चाहिए, या मौन रहना भी अच्छा है।’ ‘सुबह उठने के बाद कम से कम दो घंटे मौन रहना चाहिए। प्रतिदिन कम से कम तीन घंटे मौन रखना बहुत अच्छा है।’

17.1 पुरुषार्थ से सफलता प्राप्ति

Om das ji maharaj 5

‘काम काज, अ कामना, कंचन और कुसंग।
जग के जीवन जाल में छूट गई सत्संग।।
छूट गई सत्संग मार्ग में उल्टा लागा।
अनर्थ कि अनेक रह गया बहुएत अभागा।’

आपकी वास्तविक योग्यता को पहचानें और उसी आधार पर अपनी योजना बनाएं। यदि आप नम्रता और सभ्यता के साथ पूरी मेहनत करते हैं तो आप अपने उद्देश्य में सफल होंगे।

कर्मों का फल : ‘जो भी कर्म करता है, उसे उसका फल भोगना पड़ता है। अच्छे कर्म का अच्छा फल और बुरे कर्म का बुरा फल समय पर मिलता है।’ ‘हर कर्म का फल तय है और इसका निर्धारण साहेब करते हैं।’ ‘हर चीज का आरंभ अभ्यास से होता है। समय के साथ यह अभ्यास जीवन शैली बन जाता है, जो अंततः नियति की ओर ले जाता है।’

‘मित्र वह होता है जिसमें आपको विश्वास होता है, जिसके साथ आप खुलकर बातें करते हैं और सदा सहयोग और सुख की आशा रखते हैं।’

पुरुषार्थ और सफलता : ‘यदि आप अपने कार्यों और उद्देश्यों में सफल होना चाहते हैं तो ईमानदारी और बुद्धिमत्ता के साथ निरंतर पुरुषार्थ करना आवश्यक है। बिना पुरुषार्थ के कोई भी व्यक्ति सफल नहीं हो सकता।’

18. बदलाव - चेतना से लेकर चरित्र तक : समाज सुधार और आंतरिक परिवर्तन का सूत्र

18.1 सांगलपति भजनावली पुस्तक : भक्ति, श्रद्धा और चेतना के जागरण का संदेश

सांगलिया धूणी से श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) के निर्देशन में दो महत्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन हुआ है। पहली पुस्तक का नाम है ‘सांगलपति भजनावली’ (Sanglapati Bhajanavali) और दूसरी पुस्तक है ‘बदलाव – चेतना से लेकर चरित्र तक’ (Badlaav: Charitra se lekar chetna tak)। दोनों पुस्तकों का उद्देश्य आध्यात्मिक उन्नति और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के प्रयासों को दर्शाना है, जो श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) के मार्गदर्शन में निरंतर चल रहे हैं।

‘सांगलपति भजनावली’ (Sanglapati Bhajanavali) पुस्तक की भूमिका पृष्ठ पर मांगीलाल मेघवाल और मदन वर्मा का लेखक के रुप में नाम उल्लेखित है। इस पुस्तक में सांगलिया धूणी के संतों, धूणी माता की महिमा, भजनों और श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) के जीवन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। पुस्तक का मुख्य उद्देश्य सांगलिया धूणी के भजनों के माध्यम से भक्तों में भक्ति और श्रद्धा का संचार करना है, साथ ही संतों की जीवनदृष्टि और उनके उपदेशों को भी उजागर करना है, ताकि पाठक आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में अग्रसर हो सकें।

18. 2 बदलाव - चेतना से लेकर चरित्र तक : समाज सुधार और आंतरिक परिवर्तन का सूत्र

दूसरी पुस्तक ‘बदलाव – चेतना से लेकर चरित्र तक’ (Badlav – Chetna Se Lekar Charitra Tak) में मुकेश रणवां का नाम आमुख पत्र में उल्लेखित है, जो सांगलिया धूणी (Sangliya Dhuni) के एक सेवक हैं। यह पुस्तक एक मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करती है, जिसमें समाज में सुधार, जीवन में बदलाव और आध्यात्मिक चेतना को जागरूक करने के तरीके बताए गए हैं। श्री ओमदास जी महाराज (Om Das Ji Maharaj) के दर्शन और उनके विचारों को इस पुस्तक में प्रमुखता से स्थान दिया गया है। यह पुस्तक पाठकों को आत्म-चिंतन और सामाजिक बदलाव की दिशा में प्रोत्साहित करती है, जिससे वे अपनी चेतना को उन्नत कर सकें और जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकें।

‘बदलाव – चेतना से लेकर चरित्र तक’ (Badlav – Chetna Se Lekar Charitra Tak) इस पुस्तक को आप आसानी से अमेज़न से खरीद कर पढ़ सकते हैं। आप निम्नलिखित लिंक पर क्लिक करके या पुस्तक के ऊपर दिये गये फोटो पर क्लिक कर पुस्तक के खरीदने के पेज पर जा सकते हैं : बदलाव – चेतना से लेकर चरित्र तक.

हिंदी भजनों एवं गीतों के लिए लिरिक्स : सांगलिया धूणी के संत

पूर्ण ब्रह्म के अद्वितीय और निर्गुण गाते हो किस का गीत भजन

गाते हो किस का गीत, है पूर्ण भजन लिरिक्स

श्लोक – काया में करतार है,सदगुरु बिना अंधेर।सात द्वीप नौ खंड में,देख लिया चौफेर।। देख लिया चौफेर,ईश्वर दर्शे नहीं तन में।सतगुरु मिल्या दलाल,प्रकट दिखलाया मन

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