साधो भाई घट में घड़ी लगाई स्वांस भजन लिरिक्स

दोहा - तन से मन से वचन से,
दस दोषां ने टाल।
कर्म कटे दुर्मति मिटे,
घात करें न काल।।
घात करें न काल,
चाल सतगुरु के शरणा।
धर्म जहाज में बैठ,
जगत से पार उतरणा।
जैसे पृथ्वी बीज फलित,
होये धन से।
‘रामवक्ष’ हरि भगत,
काम शुद्ध करजा इस तन से।।

भजन - साधो भाई घट में घड़ी लगाई।
स्वांस म स्वांस खटा खट बोले,
खोल बात परखाई।।टेर।।

साधो भाई घट में घड़ी लगाई...

बारह कला द्वादश नम्बर,
शूरा समझ लगाई।
लगे टकोर घोर गुरु गम की,
अनहद ध्वनि सुनाई।।1।।

साधो भाई घट में घड़ी लगाई...

कर निज खबर जबर घर हेरा,
रैंट चाल बतलाई।
घड़ी साज कारीगर आगे,
गुरु गम किल्ली कराई।।2।।

साधो भाई घट में घड़ी लगाई...

सातों धातु मिलाया इसमें,
सांच की कणी सजाई।
श्वांस डोर की बाल कमानी,
चित के कुत्ते घुमाई।।3।।

साधो भाई घट में घड़ी लगाई...

कांच विचार लगाया अधिका,
नाभि से चाबी भराई।
‘रामवक्ष, पुर्जों की रग, रग,
खोल खोल दिखलाई।।4।।

साधो भाई घट में घड़ी लगाई...

Leave a Comment

error: Content is protected !!