रहेगा ना काना छाना नागण भजन लिरिक्स

श्लोक - भगत बीज पलटे नहीं,
जो जुग जाय अनंत।
ऊँच नीच घर अवतरे,
रहे संत का संत।।

भजन - रहेगा ना काना छाना,
नाग को जगाय दे।।टेर।।

जमुना में गेंद चाली,
नाग फांस बीच घाली।
जाऊंगा ना पीछे खाली,
गेंद मुझे लाय दे।।1।।

रहेगा ना काना छाना,
नाग को जगाय दे...

नागण बोली सुनो बाला,
बासिक बड़ा जोर काला।
तूं है शिशु भोला भाला,
मरेगा बे फायदे।।2।।

रहेगा ना काना छाना,
नाग को जगाय दे...

कूद पड़ियो जमुना में जाकर,
नाग जगायो मुरली बजाकर।
फण फण नाच्यो अंग घुमाकर,
ऐ ही आयो कायदे।।3।।

रहेगा ना काना छाना,
नाग को जगाय दे...

नाग नाथ कर गेंद छुड़ाई,
वृन्दावन में बँटे बधाई।
‘रामवक्ष’ महिमा मुख गाई,
हरि श्री सहाय दे।।4।।

रहेगा ना काना छाना,
नाग को जगाय दे...

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