ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र, यह चार वर्ण भजन लिरिक्स

भजन – ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र यह, चार वर्ण हिन्दवानी में। विद्या हीण विहीण कर्म से, सारे मिल गये पानी में।। ब्राह्मण होकर अपनी खोकर, माँगे भीख जवानी में। फिर भी छुआछुत बतावे, लगे गये सब की हानि में।।1।। महाराणा प्रताप सरी से, वीर पुरुष अगवानी में। वो क्षत्रिय जन आज कहाँ है, देखो इस […]