दोहा - धर्म करे जा धन छटा,
भजे जा सरजनहार।
ज्यांने यूं सगराम कहे,
बार बार धिकार।।
मात गेली का जाया,
मात गेली का जाया।
बलज्या सी तेरी देह,
धरी रह जासी काया।।
धर्म करे जा धन छटा,
भजे जा सरजनहार।।
भजन - यहाँ से तू कूँच करेगा,
धर्म रख मत बन बेईमान।।टेर।।
बड़े बड़े योद्धा पियाणा कीन्हा,
लंकापति राजा रो दीन्हा।
चित् में देख किता दिन जीना,
सुणले सतगुरु का ज्ञान॥
काया गढ़ कोट गिरेगा॥1॥
यहाँ से तू कूँच करेगा...
कहां गये मात पिता तेरे प्यारे,
तू फिरता था लारे लारे।
पापी किस्ती खड़ी किनारे,
हो रही तेरी हान॥
किस विधि से पार तिरेगा॥2॥
यहाँ से तू कूँच करेगा...
मूर्ख चलता अकड़ अकड़ के,
यम ले जासी पकड़ पकड़ के।
करसी गाढा जकड़ जकड़ के,
यहां वहां तेरा छूटे सब तूफान॥
कांटे धर तोल करेगा॥3॥
यहाँ से तू कूँच करेगा...
बाल जवान वृद्धापन बीता,
अब तू किस पर खड़ा न चीता।
कहा तक कथं जगत की गीता,
बन ‘रामवक्ष’ भगवान।
फिर फिर नहीं जन्म धरेगा॥4॥
यहाँ से तू कूँच करेगा...



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