भजन - दुनियाँ में ज्यादा,
रोल मचा दी झूँठा मोड।।टेर।।

कई लिंग कटा कई कान फटा,
कई सिर पे जटा घुटाया केश।
कई लाल भुज्क्कड़ बन बैठे,
कई खाकी डाकी ना ना भेष।
कई कहे मैं फिरा जगत में,
देखा सारा देश विदेश।
कई कहे मैं योगी पूरा,
शेर बनूं फिर दूँ उपदेश।
कई कहे मैं करुं रसायन,
ल्यावो द्रव्य दिखाऊँ टेस।
कई कहे मैं रिद्ध सिद्ध साधी,
मुझको टूठा देव गणेश।
कर पाखंड जगत को घेरा,
मांची होडम होड।।1।।

दुनियाँ में ज्यादा,
रोल मचा दी झूँठा मोड...

कई ईरानी कई किरानी,
कई कुरानी कई पुरान।
कई पंथ जगत में फैले,
दाताओं को करे हैरान।
यंत्र मंत्र तंत्र वादी,
कहे बाँझ के दूँ संतान।
कामदेव के दण्डी सारे,
दो मत बिल्कुल आदर दान।
भेदभाव मत जग में फैला,
किस विध भला करे भगवान।
डूबन का सांसा नहीं जिनको,
ना तिरने का कोड।।2।।

दुनियाँ में ज्यादा,
रोल मचा दी झूँठा मोड...

कई मनावे माता भैंरुँ,
वरणी बैठे साधे भूत।
पशु आदि की बलि चढ़ावे,
भोपा डोफा बन अवधूत।
औघड़ दारु मांस भखे नित,
तृविधि मैला पीवे मृत।
कहने मात्र एक ब्रह्म हम,
दूर भगा दी छुआछूत।
गधे चढ़ाय करो मुख कालो,
फेर नहीं चाले करतूत।
पाखंडियों को मत टिकने दो,
नहीं माने तो चेपो जूत।
विद्याहीन करे काँव काँव मुख,
ज्यों जंगल का डोड।।3।।

दुनियाँ में ज्यादा,
रोल मचा दी झूँठा मोड...

गृहस्थ धर्म दान कर ऊँचा,
सर्व सुखों की अजब बहार।
नर नारी का नेम अचल है,
इनसे चाले सब संसार।
मूढ़ आलसी हिम्मत हीना,
ना वो नारी ना भरतार।
असन्यासी अब्रह्मचारी,
कामदेव करते लाचार।
गई विसारो रही सो राखो,
नीति से भोगो संसार।
‘रामवक्ष’ ने सतगुरु यूं कही,
हुड़दंगपन छोड़।।4।।

दुनियाँ में ज्यादा,
रोल मचा दी झूँठा मोड...

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