भजन - चालो म्हारी सुरता ये,
सत् पुरुषों के पास।
युगन युगन का मिटे अंधेरा,
कर दे कुबुद्धि का नाश।।टेर।।

सत् पुरुषों की महिमा सुन सुन,
मन में भये हुलास।
भये हुलास कल्पना मिट गई,
दिल बीच घर विश्वास।।1।।

चालो म्हारी सुरता ये...

नाभि कमल से शब्द चलत है,
रट ले श्वांसम श्वांस।
अर्द्ध उर्ध्व मध्य अजपा जपले,
कर कर ब्रह्म विलास।।2।।

चालो म्हारी सुरता ये...

जाग्रत हेर स्वप्न जा हेरी,
सुषुप्ति आभास।
तुरिया परे एक रस आदू,
रोम रोम प्रकाश।।3।।

चालो म्हारी सुरता ये...

गगन मंडल बीच गैबी राजा,
रचे अनोखो रास।
‘रामवक्ष’ गुरु मुख पद प्रस्या,
भये ज्ञान प्रकाश।।4।।

चालो म्हारी सुरता ये...

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