दोहा - शब्द प्रकाश सब से सहि,
अनुभव का परमाण।
वेद शास्त्र अरु ग्रंथ जिम,
अष्टा दश हि पुराण।।1।।
स्वांसो में सोहँ शब्द,
सोहँ से ओंकार।
‘रामवक्ष’ ओमकार में,
तत्त्व रकार मकार।।2।।
भजन - साधु भाई कर स्मरण गणपत का।
सुमरिया विघ्न मिटे सब मनकी,
रखो नियम जत सत का।।टेर।।
माता शारदा सुधि बताओ,
अक्षर करो बजर का।
जिसपे रजा तुम्हारी होवे,
खुले भाग उन नर का।।1।।
साधु भाई कर स्मरण गणपत का...
खुलगा भाग जाग कर जोया,
कवि हुआ ईश्वर का।
अलख भण्डार भरा भरपूर्ण,
काज सुधारो घर का।।2।।
साधु भाई कर स्मरण गणपत का...
शब्द स्वरुपी सुन्न में दर्शिया,
परस्या पीव फजर का।
परसत पीव जीव भये पूरण,
मारग लिया अधर का।।3।।
साधु भाई कर स्मरण गणपत का...
सच्चिदानन्द फंद से न्यारा,
यह वायक निर्गुण का।
‘रामवक्ष’ निश्चल पद पाया,
अनुभव वायक भण का।।4।।
साधु भाई कर स्मरण गणपत का...