साधो भाई सोहं धुन सुनाई तन भजन लिरिक्स

दोहा - दुनियाँ में गुनियाँ बहुत,
कुछ देखा कुछ कान।
कइयों में गुनियाँ बहुत,
कई पढ़िया प्रमाण।।

कई पढ़िया प्रमाण,
एक से एक अगाड़ी।
पीछे किया विचार,
एक से एक पिछाड़ी।।

इच्छा स्वरुपी पुष्प,
हाथ अपने चुनियां में।
‘रामवक्ष’ भरपूर,
कमी है क्या दुनियां में।।

भजन - साधो भाई सोहं धुन सुनाई।
तन का तम्बूर ज्ञान की खूंटी,
लगन की तार चढ़ाई।।टेर।।

करणी का काठ जुगत की कूंडी,
भक्ति की नाली जचाई।
शील संतोष छावणों जड़ कर,
गम घोड़ी ठहराई।।1।।

साधो भाई सोहं धुन सुनाई...

पाँचों पकड़ पछाड़ी दीन्हीं,
मनसा मोरी लगाई।
कंठी नीति मुक्त का मणियाँ,
भाव बेत चिपकाई।।2।।

साधो भाई सोहं धुन सुनाई...

खूबी की परेक प्रेम से ठोकी,
सातों धातु भिड़ाई।
गुरुगम घोल लगा दी पालिश,
दिन-दिन चमके सवाई।।3।।

साधो भाई सोहं धुन सुनाई...

पांचों तार स्वर दे आया,
राग अजब की गाई।
‘रामवक्ष’ करीगर चेतन,
है जैसी समझाई।।4।।

साधो भाई सोहं धुन सुनाई...

Leave a Comment

error: Content is protected !!